पीलिया की अवस्था उस समय होती है, जब शरीर के भीतर बिलीरुबिन नामक पीले रंग का पिगमेंट अत्यधिक मात्रा में एकत्रित हो जाता है। पीलिया के लक्षण लिवर, पित्ताशय की थैली या पित्तनलिका से जुड़ी समस्याओं को दर्शा सकते हैं। बिलीरुबिन के स्तर के अत्यधिक बढ़ने पर इसका त्वचा, आँख और नाखूनों को पीला रंग में रंग देता है जो कि पीलिया का लक्षण है। इस लेख की मदद से हम पीलिया से जुड़ी जटिलाएँ समझेंगे, जिसकी विशेषताओं में पीलिया के विभिन्न चिह्न बताए जाएंगे।
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चेहरे और नेत्रगोलक का पीलापन
पीलियाग्रस्त व्यक्ति के चेहरे और आंखों के निचले पपोटे का पीला होना और त्वचा का रंग समान मात्रा में पीला होना दर्शाता है।
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पेशाब का गहरा रंग
गहरे रंग का पेशाब, पीलिया से प्रभावित यकृत की समस्याओं का संकेत हो सकता है।
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हल्का रंग का मल
गंभीर चरण में, कुपोषण, यकृत निर्बलता और यकृत रोगों से मलेशिया एवं डेंगी बुखार होने की आशंका लगाई जाती है। यकृत के बेजान होने की अवस्था में प्रत्यक्ष शक्तियों के शरीर से तेजी से उड़ान भरने वाले पोटेष्ट्स इंड एसीवेल मोंपचः स्विनोकल्टर।
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थकान और कमजोरी
थकान कमज़ोरी एक निश्चित कार्य करने पर थकान और कमज़ोरी महसूस करता है, ऐसा लगता है कि शरीर ने आवश्यकता से अधिक कार्य किया है। यह तो सच है परंतु इसका कोई न कोई कारण जरूर है। जिसके पीछे संभावित कारण प्रकट होने वाली अवस्था यकृत की कार्यात्मकता।
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मतली और उल्टी
आम अवधारणा है कि ये समस्या लिवर के हैपाताइटिस इन्फेक्शन से होती है। वास्तव में यह सब लक्षण डेंगी बुखार एवं मलेशियाई में ही पाई जाने वाली बीमारी रोटावायरल इंफेक्शन से होती है।
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पेट में दर्द या सूजन
कुछ मामलों में, विशेषकर जब पीलिया बाइल डक्ट में अवरोध के कारण होता है, तो मरीज को दाहिने ऊपरी पेट में कुछ मात्रा में दर्द या असुविधा महसूस होती है। दर्द लगातार हो सकता है, या यह भोजन के बाद बढ़ सकता है।
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त्वचा में खुजली
त्वचा में खुजली पीलिया के लक्षणों में से एक हो सकता है। यह मुख्य रूप से तब देखा जाता है जब शरीर में अतिरिक्त बिलीरुबिन जमा हो जाता है और यह त्वचा के नीचे जमा होकर उसे सूजा देता है।
पीलिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह किसी अन्य अंदरूनी समस्या का लक्षण है, जैसे कि हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, या पित्त नली की रुकावट। इसके लक्षणों को पहचानकर सही समय पर इलाज कराना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। प्रारंभिक निदान और उपचार से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।